Not known Factual Statements About Shodashi
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
The impression was carved from Kasti stone, a uncommon reddish-black finely grained stone accustomed to manner sacred images. It absolutely was brought from Chittagong in present day Bangladesh.
Just about every battle that Tripura Sundari fought is usually a testomony to her may possibly along with the protective nature from the divine feminine. Her legends carry on to inspire devotion and they are integral into the cultural and spiritual tapestry of Hinduism.
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
This mantra is definitely an invocation to Tripura Sundari, the deity currently being addressed With this mantra. It's a request for her to meet all auspicious dreams and bestow blessings upon the practitioner.
शैलाधिराजतनयां शङ्करप्रियवल्लभाम् ।
वन्दे सर्वेश्वरीं देवीं महाश्रीसिद्धमातृकाम् ॥४॥
लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे
It is want that turns the wheel of karma, Which holds us in duality. It can be Shodashi who epitomizes the burning and sublimation of such desires. It can be she who allows the Performing away from old karmic styles, leading to emancipation and soul flexibility.
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥७॥
The Mahavidya Shodashi Mantra fosters emotional resilience, serving to devotees tactic daily life that has a serene and regular mind. This profit is efficacious for anyone enduring anxiety, as it nurtures interior peace and the opportunity to sustain psychological harmony.
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान more info हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।